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Showing posts with the label Dr. Md. Khursid Alam

भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति सिकंदर के आक्रमण से पहले से ही प्रचलित है

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 यूनानी चिकित्सा भारत की देशी चिकित्सा पद्धति है, जो कि भारतीय परिवेश के अनुकूल है। इस चिकित्सा विज्ञान की उत्पत्ति ग्रीक सभ्यता के स्वर्णिम युग में हुआ था, जहां से यह संपूर्ण विश्व में फैल कर लोकप्रिय हो गई। भारत में यूनानी चिकित्सा के आगमन के संबंध में ज्यादातर इतिहासकार लिखते हैं कि यह पद्धति आठवीं सदी इस्वी में व्यापारियों तथा समुद्री पथिको द्वारा भारत में आई । वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह पद्धति 12 वीं सदी ईस्वी में भारत में आई । सायद उनका ख्याल होगा की बाबर द्वारा यह पद्धति भारत में आई है। यह प्रमाणित है कि बाबर तथा हिमायू के शासनकाल में बड़ी संख्या में यूनानी चिकित्सा विज्ञान के विद्वान, ईरान तथा पश्चिमी देशों से भारत आए थे, लेकिन यह भी सच है कि बाबर के भारत आने से पहले यूनानी चिकित्सा पद्धति भारत के संपूर्ण भूभाग में प्रचलित थी । भारत में यूनानी चिकित्सा का आगमन आठवीं सदी तथा 12 वीं सदी इस्वी में हुआ यह दोनों विचार तत्वों के विश्लेषण किए बगैर दिया गया प्रतीत होता है । यह प्रमाणित सत्य है कि विज्ञान कला एवं संस्कृति का प्रसार न ही युद्ध के द्वारा होता है और ना ही कोई र...

कैंसर रोगी के लिए आहार

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 कैंसर शरीर की कोशिकाओं में असामान्य  तथा अनियंत्रित वृद्धि  है जो शरीर के अन्य हिस्से में फैलने की क्षमता रखती है। इसे यूनानी चिकित्सा पद्धति में सर्तान कहते हैं। यूनानी चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह "अखलाक सौदा" से होने वाली बीमारी है अर्थात सौदा अपने सामान्य गुण से परिवर्तित होकर रोग का कारण बन जाता है। मूलभूत रूप से यह सुए मिजाज का मर्ज है, जो बाद में सुए तरकीब तथा तफ्फरुके इतसाल का भी कारण बन जाता है अर्थात मर्ज मुरक्काब का रूप धारण कर लेता है । जोखिम कारक: वह सभी कारक जो शरीर में अधिक सौदा  बनाता है इस रोग का जो जोखिम कारक है। शरीर में चार प्रकार का अखलात होता है: दम (खून), बलगम, सफरा तथा सौदा । हम जो भी खाद्य पदार्थ भोजन के रूप में खाते हैं यह शरीर में पाचन के चार अनुक्रमिक अवस्थाओं से होकर शरीर का हिस्सा बनता है।  पाचन के चार अनुक्रमिक अवस्था: हज्म मेदी, हज्म कबदी, हज्म उरूकी तथा हज्म उज़वी है । हज्म कबदी यानी पाचन के द्वितीय अवस्था में भोजन से अखलाक का निर्माण होता है। आदर्श रूप में भोजन से हज्म कबदी के उपरांत चार खिल्त दम, बलगम, सफरा एवं सौदा का निर्म...

मलद्वार या गुदा बाहर आना - Rectal Prolapse

  मलद्वार या गुदा बाहर आना - Rectal Prolapse    मलद्वार बाहर आना या गुदा का बाहर आना वैसी चिकित्सीय हालत है, जिसमें मलाशय (Rectum) का कुछ हिस्सा गुदा के माध्यम से बाहर निकल आता है। ये यूनानी चिकित्सा पद्धति में मर्ज वजअ है। मलाशय बड़ी आंत का आखरी हिस्सा है और गुदा वह जगह है, जहां से मल शरीर से बाहर निकलता है।   मलद्वार बाहर आने की समस्या 1 लाख में से केवल 2.5 लोगों को प्रभावित करती है।   50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पुरुषों की तुलना इस बीमारी के होने का खतरा 6 गुना अधिक होता है। बच्चे जिसे अधिक समय तक दस्त/ पेचिस/ कब्ज हो में हो सकता है। बूढ़े व्यक्ति में या कब्ज के मरीज/ बावाशीर के मरीज/ जिन्हे मल द्वार का सर्जरी हुआ हो, उन्हें मलद्वार के बाहर आने का खतरा ज्यादा होता है। मलद्वार बाहर आने की समस्या हल्के से लेकर गंभीर लक्षणों वाली हो सकती है। ज्यादा तर मामलों में ये समस्या यूनानी चिकित्सा से ठीक हो जाता है परंतु गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। गुदा बाहर आने के लक्षण: गुदा या मलद्वार बाहर आना के लक्षणों में गुदा से बाहर ...

गैर संचारी रोगियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।

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 गैर संचारी रोग वह बीमारियां है जो एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित नहीं होती है, अर्थात यह रोग गैर संक्रामक होती है। हृदय रोग, कैंसर, दमा एवं सांस की मु मुजमिन बीमारियां और मधुमेह, गैर संचारी रोगों की श्रेणी में चार प्रमुख घातक बीमारियां है। पूरी दुनिया में गैर संचारी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में भी इन रोगों की समस्या गंभीर है, जिसे और अधिक भ्यावह होने की आशंका है। कुछ वर्ष पूर्व तक यदा-कदा होने वाली बीमारी आज सामान्य रूप से देखने को मिलती है। मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर जैसे घातक रोगों का प्रसार पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से हुआ है। गैर संचारी रोगों के विकराल रूप का कारण तेजी से बदलती जीवन शैली, आहार, व्यवहार एवं आधुनिक तकनीक पर निर्भरता है। यदि समय रहते सचेत नहीं हुआ गया तो इसके घातक परिणाम से व्यापक स्तर पर जान माल की क्षति होगी। सामान्यतः गैर संचारी रोगों का इलाज लंबे समय तक चलता है, और महंगा भी होता है। ससमय समुचित इलाज नहीं होने की स्थिति में परिणाम घातक होता है। जिन चीजों के कारण गैर संचारी रोग होता है उसे उस रोग का जोखिम कारक कहते हैं। गैर संचारी रोगों के ...

Seats shearing issue among Ayush in Bihar

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  In Bihar Government services the existing allocated quota for Ayurvedic, Homeopathic and Unani Medicine is 50:30:20 respectively, of the total seats of AYUSH system. Unani are getting only 20% that is minimum among these. Which hinders the development of Unani medicine is state of Bihar while Homeopathy achieves accelerated growth in the previous three decades due to its second-highest allocated quota (30%) in government employment. This pattern of allocated quota is being acted upon till date since 26/11/1990. In the recent past, the Homeopathic Doctors Association (BSHMOA), Patna, made a mendacious statement that the existing allocated quota among the different streams of AYUSH is based on the number of admission of students and the number of registered doctors in the respective stream in the state. In this mendacious statement, they were attempting to reach an irrational conclusion. To pressurized the Department of health, Government of Bihar they move to the Honorable High Co...

अर्क पुदीना (Arq Pudina)

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  अर्क पुदीना पुदीना एक उपयोगी सुगंधित यूनानी औषधि है | ये गर्मियों में विशेष उपयोगी औषधि है | नामकरण: पुदीना जूज ए खास होने के कारण इस अर्क का नाम अर्क पुदीना है। औषधि गुण : मुक्वी ए मेदा ( stomachie), हाज़िम ( Dijestive), माने जहीर ( Anti-dysenteric), दाफे कै ( Anti Emetic), तिर्याके समूम ( Antidote). औषधि प्रयोग: 1.         पेट के रोग : अपच , अजीर्ण , पेचिश , पेट में मरोड़ , उल्टियाँ , खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है | अर्क पुदीना पीने से खाने से रूचि उत्पन्न होती है , वायु दूर हो कर पाचनशक्ति तेज होती है | उल्टी-दस्त , में पुदीने के रस में नींबू का रस , एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है | 2.      मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता है | अधिक मासिक स्त्राव में यह प्रयोग न करें | 3 .      सिरदर्द,   गर्मी के कारण व्याकुलता: पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का अर्क...

यूनानी चिकित्सा मे रोगों का वर्गीकरण

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रोगों के असबाब , अलामात , तस्खीस तथा ईलाज के अध्यन में सरलता हेतु , यूनानी चिकित्सा पद्धति मे रोगों का वर्गीकरण   निम्न प्रकार से किया गया है।   बुन्यादी तौर पर रोग दो प्रकार का होता है : अमराज मुफर्दा   एवं अमराज़ मुरक्कबा A. अमराज मुफर्दा : ये मर्ज बुन्यादी तौर पर आजा ए मुफर्दा को लाहक होता है। ये तीन प्रकार का होता है :- a. सुए मिजाज़ : ये वह मर्ज है , जिस में आजा ए मुफर्दा का मिजाज असामान्य अर्थात विकृत हो जाता है। ऐसे मर्ज   सोलह प्रकार के होते हैं। b. सुए तरकीब : ये वह मर्ज है जिस में आजा ए मुफर्दा का बनावट में विकृति अर्थात शरीर रचना असामान्य हो जाता है। c. तफ्फरूक ए इत्तासाल : ये वह मर्ज है जिस में आजा मे उसका निरंतरता भंग हो जाता है। ये रोग , आजा ए मुफर्दा तथा आजा ए मुरक्काबा दोनो को हो सकता है। जैसे कट जाना , टूट जाना इत्यादि। B. अमराज़ मुरक्कबा : ये वह मर्ज है जिस में एक समय में एक से अधिक अमराज ए...